Communication Skill दो भागो में बटा हुवा है बोलना और मैसेज पोहंचना. हमे बोलने से पहले सामने वाले को
बेहतर तरीके से सुनना पड़ेगा.इस तरह हम उसकी बात को बेहतर तरीके से समझा पाएंगे.Communication Skill यही है की अपने आप कोबेहतर बना ने की कला में आप खुद की क्षमता और सम्बन्धो में सुधार आएगा.
1 - communication skill बुनयादी बातो को समझे
-अगर आप बिज़नेस में हैं, तो लोगों को प्रभावित करना शायद आपकी सबसे बड़ी चुनौती होगी। अगर आप गृहिणी, या वास्तुविद या इंजीनियर हैं,तो भी आप लोगों को प्रभावित करना चाहते byहोंगे।
-आप इस इच्छा को कैसे विकसित कर सकते हैं? लगातार अपने आपको यह याद दिलाकर कि ये सिद्धांत आपके लिए सचमुच महत्वपूर्ण हैं।
-कल्पना करें कि इस कला को सीख लेने से आपका जीवन अधिक समृद्ध, संपूर्ण और सुखद हो जाएगा। ख़ुद से बार-बार यह कहें, “लोगों के साथ मैं किस तरह व्यवहार करता हूँ, इस पर मेरी लोकप्रियता, मेरा सुख और मेरा सम्मान निर्भर करता है।”
हमें यह हमेशा याद रखना है की याद की -“‘मैं इस अनुभव से क्या सबक़ सीख सकता हूँ?’
2 - बुराई मत करो,
-लोगों की आलोचना करने के बजाय हमें उन्हें समझने की कोशिश करनी चाहिए।
-किसी की आलोचना करने का कोई फ़ायदा नहीं होता, क्योंकि इससे सामने वाला व्यक्ति अपना बचाव करने लगता है, बहाने बनाने लगता है या तर्क देने लगता है।
-एक और महान मनोवैज्ञानिक हैंस सेल्ये ने कहा है, “जितने हम सराहना के भूखे होते हैं, उतने ही हम निंदा से डरते हैं।”
-आलोचना या निंदा से कर्मचारियों, परिवार के सदस्यों और दोस्तों का मनोबल कम हो जाता है और उस स्थिति में कोई सुधार नहीं होता, जिसके लिए आलोचना की जाती है।
-इतिहास में आपको हज़ारों उदाहरण मिल जाएँगे जो बताते हैं कि आलोचना से कोई लाभ नहीं होता।
-हर ग़लत काम करने वाला अपनी ग़लती के लिए दूसरों को दोष देता है, परिस्थितियों को दोष देता है, परंतु ख़ुद को दोष नहीं देता। हम सब यही करते हैं।
-कोई भी मूर्ख बुराई कर सकता है, निंदा कर सकता है, शिकायत कर सकता है- और ज़्यादातर मूर्ख यही करते हैं।
3 - सच्ची तारीफ़ करने की आदत डालें।
-प्रशंसा और चापलूसी में क्या फ़र्क़ है? इसका जवाब बहुत आसान है। एक सच्ची होती है और दूसरी झूठी।
-इंसानों और जानवरों में यही फ़र्क़ है कि इंसानों में महत्वपूर्ण बनने की आकांक्षा होती है।
-चापलूसी समझदार लोगों के सामने सफल नहीं होती। यह स्वार्थी और झूठी होती है।
-अगर हम ख़ुद के बारे में सोचना थोड़ा कम कर दें और दूसरे व्यक्ति की अच्छाइयों के बारे में सोचने लगें, तो हमें चापलूसी की ज़रूरत ही नहीं पड़ेगी.
-आपके शब्दों को अपनी यादों की तिजोरी में रखेंगे और ज़िंदगी भर उन्हें दोहराते रहेंगे- आपने जो कहा है, वह आप भूल जाएँगे, पर वे नहीं भूल पाएँगे।
-हम अपने बच्चों, दोस्तों और कर्मचारियों के शरीर को पोषण देते हैं, परंतु हम उनके आत्मसम्मान को कितना कम पोषण देते हैं?
4 -सामने वाले व्यक्ति में प्रबल इच्छा जगाएँ।
-सबसे पहले सामने वाले व्यक्ति में काम करने की प्रबल इच्छा जगाएँ।
-दूसरे व्यक्ति के नज़रिए से स्थिति को देखने और उसमें इच्छा जगाने का यह मतलब नहीं है कि आप सामने वाले का शोषण करना चाहते हैं और उससे ऐसा कोई काम करवाना चाहते हैं जिससे उसे नुक़सान हो और आपको फ़ायदा।
-जो लोग ख़ुद को दूसरों की जगह रख सकते हैं, जो उनके दिमाग़ के काम करने की प्रक्रिया को समझ सकते हैं, उन्हें इस बात की चिंता करने की कभी ज़रूरत नहीं होनी चाहिए कि उनका भविष्य कैसा होगा।”
5 - आकर्षित कैसे करे .
-आप चाहते हैं कि आपसे मिलने-जुलने वाले लोग आपकी तारीफ़ करें। आप चाहते हैं कि आपकी प्रतिभा को पहचाना जाए। आप चाहते हैं कि आप अपनी छोटी सी दुनिया में महत्वपूर्ण बनें।
-अगर हम उस नियम का पालन करेंगे तो हम कभी मुश्किल में नहीं फँसेंगे।हमेशा दूसरे व्यक्ति को महत्वपूर्ण अनुभव कराएँ।
-“दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करो
-उनमे ज्यादा से ज्यादा रूचि ले
6 - लोगो के नाम याद रखे
-याद रखें किसी व्यक्ति का नाम उसके लिए सबसे महत्वपूर्ण और मधुरतम शब्द होता है।
-आम आदमी दुनिया के सभी नामों के बजाय अपने नाम में ज़्यादा दिलचस्पी लेता है।
-उनसे जभी मिले उनके नाम बोलकर मिले
-किसी के नाम को याद रखना और आसानी से उसका उच्चारण करना अपनेपन की निशानी है और अप्रत्यक्ष रूप से उसे सम्मान देना है।
-सदियों से अभिजात्य वर्ग के धनी लोग संगीतकारों, लेखकों और कलाकारों को आर्थिक सहायता इसलिए देते आ रहे हैं ताकि उनकी रचनाएँ उनके नाम पर समर्पित की जाएँ।
-लोगों को अपने नाम पर इतना अधिक गर्व होता है कि वे इसे किसी भी क़ीमत पर अमर रखना चाहते हैं।
-“ नाम भूल जाना लापरवाही की निशानी है
-हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि नाम ही वह जादू की छड़ी है, जिससे हम सामने वाले पर जादुई असर डाल सकते हैं। नाम ही किसी व्यक्ति की पहचान है, उसके व्यक्तित्व का प्रतीक है।
7 -अच्छे श्रोत्ता बनो .
-अगर कोई देखे की आप उसे कितनी अच्छी तरह सुन रहे हो तो वो भी आप में रूचि लेगा और आपको पसंद करेगा .ये आपकी रिलेशन शिप्स में भी काम आएगा.
-सुनने की कला घर पर भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी कि बिज़नेस में।
-उनके बारे में और उनकी उपलब्धियों के बारे में बात करने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करें।
-केवल महत्वपूर्ण लोग ही अच्छे श्रोताओं को पसंद नहीं करते, सामान्य लोग भी उन्हें पसंद करते हैं।
-अगर आप एक अच्छे वक्ता बनना चाहते हैं, तो ध्यान से सुनने की आदत डाल लें। अच्छे श्रोता बनें।
-याद रखें कि लोगों को आपमें या आपकी समस्याओं में जितनी रुचि है उससे सौ गुना ज़्यादा रुचि उन्हें अपने आपमें या ख़ुद की समस्याओं में है।
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